बस ! चलो
( राग : देश ; तर्ज : मजसवे बोल ! )
बस ! चलो खेलने जायेंगे ।
वही सारा दिन बितवायेंगे ! ॥ टेक ॥
यहि नारा रहता लडकोंका ।
क्या जाने वह कालका धडका ??
कब आये जम उठवायेंगे ! ॥१ ॥
आयि जवानी फिर तो क्या है ।
बिन जोरूके कहाँकी माँ है ??
पल नहीं घरसे भग पायेंगे ! ॥२ ॥
बूढापन जबआजाता है ।
तब जानो सब मर फजिता है ।
कोई बुलाये नहिं आयेंगे ! ॥३ ॥
ऐसा समय गया अब बीता ।
सुमरी नहीं पल भी गुरु - गीता ॥
तुकड्या कहे , कब प्रभू गायेंगे ? ।।४ ।।
गोंदीया;दि. २१. ९. ६२
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